Sunday, October 7, 2007

अंग्रेजों के लिए भारतीय ट्यूटर

भारतीय प्रतिभा का परचम अब एक बार फिर ब्रिटेन में लहराएगा। इसके पहले भारतीय डॉक्टरों को ब्रितानी स्वास्थ्य सेवाओं का एक मजबूत हिस्सा बताने के बाद ब्रिटिश सरकार अब भारतीय ट्यूटरों की भी सेवाएं लेने की इच्छुक है। दरअसल जीसीएसई यानी कि जनरल सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंड्री एजूकेशन सरीखी परीक्षाएं ज्यादा से ज्यादा ब्रिटिश छात्र उतीर्ण करे, इस पर ब्रितानी प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन का काफी जोर है। उनका मानना है कि देश में हर छात्र को परीक्षाओं में पास होने के लिए एक निजी ट्यूटर होना चाहिए। उनके इस विचार को व्यक्त करते ही ब्रिटिश एजूकेशन इंडस्ट्री की मानो बाँछे खिल गई और उन्होंने प्रतिभाशाली भारतीयों को इस सुअवसर का हिस्सा बनाने का मन बना लिया है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/features/general/8_14_3801469.html

मरीज़ पर्यटकों का रुख़ भारत की ओर

जड़ी-बूटियों और आयुर्वेद के लिए दुनिया भर में मशहूर भारत पर आज के दौर में भी विदेशी मरीज़ों की टकटकी लग गई है.

ख़बर है कि विभिन्न देशों के बहुत से मरीज़ इलाज कराने के लिए भारत की तरफ़ रुख़ कर रहे हैं लेकिन यह रुख़ पाँच सितारा अस्पतालों की तरफ़ ज़्यादा है. वजह आईने की तरफ़ एकदम साफ़ है - बेहतर चिकित्सा और वो भी कम ख़र्च पर क्योंकि विदेशों में इलाज बहुत महंगा है.

देश-विदेश से आने वाले ये रोगी भारत के निजी अस्पतालों में अपना इलाज करवाने के लिए भर्ती हो रहे हैं।

http://www.bbc.co.uk/hindi/southasia/030930_fivestar_hospitals_pd.shtml

भारत में कॉफ़ी क्रांति

भारत के नगरों में इतालवी शैली के कॉफ़ी बारों की संख्या में आहिस्ता-आहिस्ता हो रही बढोत्तरी से स्पष्ट है कि वहाँ एक कॉफ़ी क्रांति चल रही है. ज़ाहिर है चाय उद्योग के लिए यह कोई अच्छी ख़बर नहीं है.

चाय अब भी ज़्यादातर भारतीयों का पसंदीदा पेय पदार्थ है. भारत न सिर्फ़ चाय का सबसे बड़ा निर्यातक, बल्कि सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है.

हाल के वर्षों में भारत में चाय की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है. चाय उद्योग के लिए बुरी ख़बर यह कि युवा और प्रगतिशील भारतीयों के लिए क़ॉफ़ी एक फ़ैशन बनती जा रही है. कॉफ़ी बार का भारत में कुछ साल पहले तक कोई नामलेवा नहीं था, लेकिन आज दबे पाँव ये महानगर ही नहीं छोटे शहरों में भी पहुँच रहे हैं.

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/020927_indiacoffee_nk.shtml

पाक पहुँची भारतीय कंपनी कैफ़े कॉफ़ी डे

भारतीय कंपनियों के बढ़ते क़दम अब पाकिस्तान भी पहुँच गए हैं। भारत की मशहूर कॉफ़ी कंपनी, कैफ़े कॉफ़ी डे ने पाकिस्तान में अपना पहला स्टोर खोला है.

कराची के एक उच्चवर्गीय इलाक़े में पिछले सप्ताह खुलने वाला ये कैफ़े भारतीय कारोबारियों के लिए एक नया अनुभव है.

http://www.bbc.co.uk/hindi/business/story/2006/12/061204_coffee_pakistan.shtml

ब्रिटेन में एशियाई मूल के लोग सम्मानित

सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में अहम योगदान के लिए ब्रिटेन के शहर बर्मिंघम में मध्य इंग्लैंड के कई ब्रितानी- एशियाई लोगों को सम्मानित किया गया है।

सार्वजनिक क्षेत्र में अहम योगदान के लिए विशिष्ट योगदान के लिए चरनजीत मेहत को सम्मान दिया गया है। वे बर्घिंगम में जेल सेवा में ड्रग मामलों की प्रमुख हैं. वहीं स्वास्थ्य सेवा में योगदान के लिए भारतीय मूल की आशा खेमका को चुना गया है. वे वेस्ट नॉटिंघमशायर कॉलेज की प्रिंसिपल हैं जो यूरोप के सबसे बड़े कॉलेजों में से एक है. ब्रिटेन में एशियाई मूल की केवल दो महिलाएँ प्रिंसिपल के पद पर हैं और आशा खेमके उनमें से एक है।

http://www.bbc.co.uk/hindi/business/story/2007/07/070715_business_asians.shtml

टमाटर से लदे ट्रकों ने रचा इतिहास

भारत-पाकिस्तान के व्यापार के इतिहास में सोमवार को एक नया अध्याय जुड़ गया, जब टमाटरों से लदे तीन ट्रक अटारी सीमा से पाकिस्तान सीमा में दाखिल हुए.

विभाजन
के 60 साल बाद दोनो देशों के बीच सड़क मार्ग से व्यापार का यह रास्ता खुला है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर दोनो देश व्यापार संबंधी पाबंदियों में ढील दें तो द्विपक्षीय सालाना व्यापार छह अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।

http://www.bbc.co.uk/hindi/business/story/2007/10/071001_pakistan_cargo.shtml

बुजुर्र्गो को गोद ले रहे हैं बच्चे

बच्चों को गोद लेने का चलन तो काफी पुराना है, लेकिन अब महानगरों में ऐसे बुजुर्गो को गोद लेने की शुरुआत हुई है जिनका कोई आसरा नहीं है या जिन्हें उनकी संतानों ने बेआसरा छोड़ दिया है।

बुजुर्र्गो के कल्याण के लिए लंबे समय से कार्यरत गैर सरकारी संगठन हेल्पऐज इंडिया के सूत्रों ने बताया कि जिस गति से समाज में बुजुर्र्गो को त्यागने की रफ्तार बढ़ रही है उससे आने वाले समय में स्थिति काफी गंभीर हो जाने की आशंका है। लेकिन अब समाज में एक सुखद बदलाव यह देखा जा रहा है कि कुछ युवा बच्चा गोद लेने की तर्ज पर बुजुर्र्गो को गोद लेने लगे हैं।

http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_3801251/

इलाहाबाद के छात्र ने बनाया हिंदी का अनूठा सॉफ्टवेयर

इलाहाबाद के एक छात्र ने हिंदी का एक अनूठा सॉफ्टवेयर बनाया है। हिंदी के इस सॉफ्टवेयर में पहली बार आर्टिफिशियल इंटलीजेंस (एआई) का प्रयोग किया गया है। इस सॉफ्टवेयर की खास बात यह है कि यह आपकी लेखन शैली समझकर उसी तरह के सुझाव भी देगा। यानि की अगर आप हिंदी थोड़ी कम जानते हैं तो डरने की जरूरत नहीं। यह सॉफ्टवेयर आपकी हिंदी स्ट्रांग करने में भी पूरी मदद करेगा।

आईआईटी कानपुर से बीटेक कर चुके अमित ने अपने इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से कोशिश की है कि आम आदमी हिंदी में अपने कार्य को ठीक ढंग से कर सके। इतना ही नहीं यह सॉफ्टवेयर फ्री ऑफ कॉस्ट है। विदित हो कि हिंदी में उपलब्ध सॉफ्टवेयर में हिंदी टाइपिंग कठिन है, जबकि अमित द्वारा बनाए गए सॉफ्टवेयर में वांछित हिंदी अक्षर कीबोर्ड में देखे जा सकते हैं। अमित ने बताया कि उसने अपने सॉफ्टवेयर में हिंदी के ढाई लाख शब्द कोश डाले हैं। यह सॉफ्टवेयर व्यक्ति की भावनाओं को पढ़ सकता है। यानि की आप जो भी संदेश लिखेंगे उसमें आगे क्या लिखना है उसके बारे में यह सॉफ्टवेयर सुझाव देगा।

http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_3801331/